पंगवाल जनजाति की शादी की रस्में
पांगी में विवाह की पूरी रस्म के चार प्रक्रियाएं होती है। इनका नाम है, पिलम, फक्की, छक्की और शादी। यहाँ शादी के लिये लड़के वाले ही लड़की वाले के यहां जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। सर्व प्रथम लड़के का पिता अपने किसी खास आदमी को लड़की वाले के घर बात के लिये भेजता है। इस दिन खास आदमी एक दो बोतल शराब पिलाता है। क्योंकि शराब के बिना बात भी नहीं होती। इस प्रक्रिया को पिलम(सगाई ) कहते हैं ।
इसके बाद लड़की वाले यदि स्वीकृति देते हैं तो किसी अच्छे दिन को तय करते हैं और उस दिन लडके वाले 25 बोतल शराब, लगभग 20 सेर अनाज, घी, अथवा तेल में पकी पूड़ी तथा हैसियत के अनुसार एक दो आभूषण लेकर लड़की वाले के घर जाते हैं । पूड़ी घर के सब रिश्तेदार मिलजुल कर खा लेते हैं। और खूब शराब पीते हैं। केवल आभूषण लड़की को पहना देते हैं।
इस प्रक्रिया का नाम फक्की है। फक्की की उक्त रस्म से करीब एक साल बाद फिर लड़के वाले लड़की के यहां जाते हैं। इस बार 35 बोलत के करीब घड़ो अथवा कनस्तरों में शराब ले जाते हैं। 30 सेर (लगभग 12 किलो) के करीब तेल में तली पूड़ी तथा कुछ आभूषण ले जाते हैं । दो तीन दिन लड़की वाले के घर ठहरते हैं। खूब खाते पीते हैं। इस प्रथा अथवा प्रक्रिया को छक्की कहा जाता है।
इसके बाद लामा जी अथवा देवता आदि से मुहुर्त का दिन तय कराके लड़के के साथ दो तीन आदमी लड़की वाले के घर पर जाते हैं और दूसरे दिन लड़की को साथ लेकर अपने घर वापिस आते हैं। इस बार भी शराब आदि ले जाते हैं और पिलाते हैं। जब लड़की विवाह के बाद ससुराल जाती है तब लड़की के घर से सात आदमी जाते हैं। यह सातों व्यक्ति लड़की को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार बकरी, गाय, बरतन आदि भी देते हैं।
इन सात आदमियों की लडके वाले के यहाँ बड़ी सेवा की जाती है। वास्तव में यही बराती होते हैं। दो दिनों तक लड़के वाले के यहां रौनक रहती। शराब और बकरों का दौर चलता है। विवाह में कहीं भी बाजा नहीं बजाया जाता। तीसरे दिन लड़की वाले अपने घर चले जाते हैं। जाते हुए प्रत्येक को लड़के वाला सत्तू, पूड़ी आदि भरपूर देता है तथा पूरी शक्ति से खुश करता है।
छूट अथवा तलाक इसका यहाँ आम रिवाज है। इसको यहाँ बुरा नहीं माना जाता। छूट के बाद औरत से जब दोबारा कोई शादी करता है तो उसे रीत के तौर पर कुछ धन देना होता है जो आम तौर पर अधिक से अधिक पहले 200 रुपये तक होता था ।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पुरुष आपस में मिलकर औरतों का परस्पर तबादला कर लेते हैं।बहुधा छूट होने के बाद भी औरत माता-पिता के घर बिना शादी किये कुछ समय तक रहती है वाद जो बच्चा पैदा होता है उसके पिता का पता नहीं लगता और यहां की रीत के अनुसार ऐसे लड़के अपने पिता का नाम नहीं लिखवाते। उसके स्थान पर अपनी मां का नाम लिखवाते हैं। ऐसे बच्चों को समाज में किसी प्रकार से हीन नहीं माना जाता।
पंगवाल जनजाति की शादी की रस्में
इसे भी पढ़ें : हिमाचल प्रदेश का इतिहास
- HPU Shimla Latest Notifications -January 2025
- HP Police Constable Question Paper Held on 27 March 2022
- Jal Shakti Division Thanakalan Para Cook And Para Helper Recruitment 2025
- Jal Shakti Divison Palampur Para Cook And Para Helper Recruitment 2025
- HPPSC Shimla HPAS Exam 2024 Final Result