ISRO Launched Chandryaan 3 on 14 July 2023
अंतरिक्ष में इतिहास रचते हुए भारत ने 14 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 को लॉंच किया । चंद्रयान-3 का यह सफर लगभग 40 दिनों का होगा। विक्रम लैंडर यदि सफलता के साथ चांद की सतह पर उतर जाता है, तो भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश होगा, जो यह कारनामा कर पाएगा। भारत से पहले अमरीका, रूस और चीन ही अंतरिक्ष में इस लेवल पर पहुंच पाए हैं। अनुमान है कि 23 अगस्त तक चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम उतर सकता है। भारत का मूनक्राफ्ट विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। भारत ने चंद्रयान मिशन की शुरुआत 2008 में की थी।
चंद्रयान-3 मिशन के प्रमुख उद्देश्य :
चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और चंद्रमा पर रोवर का संचालन, जो रसायनिक, मिट्टी, खनिजों का पता लगाएगा। इस तरह के मिशन में केवल कुछ ही देश सफल हुए हैं, चंद्रयान-3 की सफलता दुनिया के सामने अंतरिक्ष शोध में भारत की ताकत को प्रदर्शित करेगी। इसके अलावा, मिशन संभवत: चंद्रमा की बर्फ का नमूना लेने वाला पहला मिशन होगा। यह भी माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर देखे गए बड़े गड्ढों से पहले के सौर मंडलों की संरचना का सुराग मिल सकता है।
चंद्रयान मिशन की शुरुआत :
15 अगस्त 2003 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की।
22 अक्टूबर 2008: चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी।
08 नवंबर 2008: चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया।
14 नवंबर 2008: चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि की।
28 अगस्त 2009: इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
22 जुलाई 2019: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया।
20 अगस्त 2019: चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया।
02 सितंबर 2019: चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया।
14 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉन्चपैड से उड़ान भरी।
किस राकेट से लॉन्च किया गया ?
चंद्रयान-3 को ‘एलवीएम3एम4 रॉकेट से लॉन्च किया गया। एलवीएम3एम4 रॉकेट भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 को चांद के सफर पर लेकर रवाना हो गया। इस रॉकेट को पहले जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था। भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे ‘फैट बॉय’ भी कहते हैं। यह बाहुबली रॉकेट इसरो की सबसे बड़ी ताकत है। LVM3 का पूरा नाम लॉन्च व्हीकल मार्क-III है। पहले इसे जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III यानी GSLV Mk III के रूप में जाना जाता था। यह तीन चरणों वाला मीडियम-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने डेवलप किया है। इसे मुख्य रूप से कम्युनिकेशन सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया था।
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