History of Himachal Pradesh-lll
Important Questions for HPAS, NT, HP Allied Services
- 1803-04 के आस-पास गढ़वाल होते हुए जब गोरखों ने हिमाचल में प्रवेश किया किस रियासत पर उन्होंने सबसे पहले आक्रमण किया?
A) नालागढ़
B) सिरमौर
C) कांगड़ा
D) बुशहर
उतर-: A)नालागढ़
व्याख्या:- सिरमौर के राजा कर्म प्रकाश के प्रशासनिक कार्यों में नालागढ़ के राजा राम शरण सिंह द्वारा प्रशासनिक हस्तक्षेप करके कर्म प्रकाश के भाई को राजगद्दी पर बिठा दिया गया था कर्म प्रकाश कलसी चला गया था। कलसी से यह गोरखो से अपनी सुरक्षा के लिए सहायता की मांग करता है। गोरखा सरदार अमर सिंह थापा द्वारा भक्ति थापा के नेतृत्व में 700 सैंनिको की सेना भेजी जाती है। इस सेना को रामशरण सिंह से हार का सामना करना पड़ता है।
सिरमौर के राजा कर्म प्रकाश द्वारा गोरखा सेना की पराजय के बाद एक बार फिर से गोरखा सेना से सहायता की मांग की जाती है। इस बार अमर सिंह थापा स्वयं नालागढ़ के राजा राम शरण सिंह पर आक्रमण करता है। जिसमें रामशरण सिंह की हार होती है और वह रामगढ़ के किले से भाग के पाल्सी के किले में शरण लेता है। पाल्सी के किले को गोरखा नहीं जीत पाते। इसलिए वे सिरमौर चले जाते हैं ।वहां पर ये सिरमौर राजा कर्म प्रकाश के भाई कंबर रतन सिंह को मार देते हैं और कर्म प्रकाश को नाममात्र का राजा घोषित कर देते हैं।
- बागल के किस राणा के शासनकाल मे गोरखा सेना ने अर्की मे अपना मुख्यालय स्थापित किया?
A) जगत सिंह
B) अजय देव
C) पृथ्वी सिंह
D) मेहर चंद
उतर-:A) जगत सिंह
व्याख्या:- कांगड़ा से आने के बाद पहले तो गोरखा नालागढ़ के राजा राम शरण पर हमला करते हैं । रामशरण पाल्सी के किले से बच निकल जाता है और अंग्रेजो से सहायता मांगता है ।अंग्रेजों का भी अब तक लुधियाना मे आगमन हो चुका था। ऐसे में क्योंकि गोरखा पहले ही कांगड़ा मे बुरी तरह हार का सामना कर चुके थे। इसलिए अंग्रेजों से किसी भी तरह की दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते थे। इसलिए गोरख ने नालागढ़ पर हमला करने की योजना त्याग कर अर्की की तरफ रुख किया।अर्की क्योंकि बागल राज्य की राजधानी थी और रियासत का राणा जगत सिंह बनवास पर था। इसलिए अंग्रेज लोग यहां पर अपना कब्जा करके अर्की को अपने अपना सेना मुख्यालय बना लेते हैं।
- “गोरखों की अर्की विजय” (Gorkha Conquest of Arki) पुस्तक किसके द्वारा लिखी गई है?
A) यशवंत सिंह परमार
B) यू एस परमार
C) बिल्लियम फ्रेजर
D) रणजोर सिंह थापा
उतर-:B) यू एस परमार
व्याख्या:- “गोरखों की अर्की विजय” (Gorkha Conquest of Arki) पुस्तक यू एस परमार द्वारा लिखी गई है। सिरमौर के इतिहास पर रणजोर सिंह थापा द्वारा लिखित “तारीख-ए-रियासत सिरमौर” मैं भी गोरखों का उल्लेख हुआ है।
- किस वर्ष के आस-पास गोरखों ने बुशहर रियासत पर आक्रमण किया?
A)1811-12
B)1804-05
C)1815-16
D)1817-18
उतर-:A)1811-12
व्याख्या:-1811-12 के आसपास अमर सिंह सिंह थापा द्वारा बुशहर पर आक्रमण कर दिया जाता है । इस समय बुशहर के राजा उग्र सिंह की मृत्यु चुकी थी। राजा महेंद्र सिंह अभी अल्प आयु में था। इसलिए बुशहर की हार हो जाती है। बुशहर का वजीर रानी और राजा को किन्नौर के जंगलों में सुरक्षित पहुंचा देता है । इसके बाद कई महीनों तक राजा की खोज में गोरखा सेना लगी रहती है । सेना कामरू के खजाने तक पहुंचाती जती है। कामरु का खजाना लूट लिया जाता है। बुशहर का पूरा इतिहास भी जला दिया जाता है। राज घराने की संपति के बहुत से अवशेष तहस-नहस कर दिया जाते हैं। गोरखा सेना बहुत कोशिशों के बावजूद भी बुशहर के राजा को नहीं पकड़ पाती।
अन्त मे गोरखा सदार अमर सिंह थापा को भी लगता है इतने मुश्किल क्षेत्रों में कब्जा जमाए रखना में कोई समझदारी नहीं है। इसलिए बुशहर के राजा से सन्धि कर लेता है और 12 हजार रुपए के बार्षीक हरजाने पर उसे राज करने की अनुमति दे दी जाती है। तथा स्वयं गोरखा 1813 के आस-पास अर्की वापस चले जाते हैं।
- सिरमौर रियासत की उस रानी का क्या नाम था जिसने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए अंग्रेज अधिकारी डेबिड़ अख्तरलोलोनी से गोरखो के खिलाफ़ सहायता मांगी?
A) रानी शरादा
B) रानी गुलेरी
C) रानी नैना
D) इनमे से कोई नही
उतर-:B) रानी गुलेरी
व्याख्या:- गोरखे अंग्रेजों के लिए तिब्बत के साथ व्यापार के लिए बड़ी बाधा बने हुए थे। तिब्बत जाने वाले अधिकतर रास्तों पर गोरखों का ही अधिकार था। इसलिए वे गोरखों को रास्ते से हटाने के लिए एक उचित घड़ी का इंतजार कर रहे थे।अंग्रेजों का इंतजार तब खत्म हो जाता है जब सिरमौर रियासत की रानी गुलेरी द्वारा अपनेराज्य की सुरक्षा के लिए अंग्रेज अधिकारी डेबिड़ अख्तरलोलोनी से गोरखो के खिलाफ़ सहायता की मांगी जाती है। डेबिड़ अख्तरलोलोनी द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है और अंग्रेजों द्वारा गोरखो के खिलाफ़ युद्ध की तैयारी शुरू की जाती है।
- कौन सा अंग्रेज अधिकारी गोरखों के साथ हुए युद्ध में मारा गया था?
A)डेविड अख्तरलोनी
B)मेजर मार्टिनलेंड
C)बिल्लियम फ्रेजर
D)रोलो गेल्स्पि
उतर-: D) रोलो गेल्स्पि
व्याख्या:- 1814-15 के आस-पास जब गोरखो तथा अंग्रेजो के बीच युद्ध हुआ तो रोलो गेल्स्पि देहरादून तथा क्यरादून मे एक बड़ी सेना लेकर बाल बहादुर थापा से युद्ध करता है। बाल बहादुर थापा किलिंगा किले (कालापानी) में मोर्चा संभालता है।रोलो गेल्स्पि युद्ध में बुरी तरह घायल हो जाता है और बाद में उसकी मृत्यु भी हो जाती है। लेकिन ब्रिटिश सेना द्वारा किले पर कब्जा कर लिया जाता है और बाल बहादुर थापा की हार होती है।
बिल्लियम फ्रेजर– बिल्लियम फ्रेजर जुबल, चौपाल और रविनगढ़ के लिए 500 की सेना लेकर निकलता है, जिसमे प्रीति और डांगी वजीर भी इनका साथ देते हैं ब्रितानी सेना द्वारा रणसोर थापा को रविनगढ़ के किले में परास्त किया जाता है । इसके बाद ब्रिटिश सेना रामपुर तथा कोटगढ़ की तरह बड़ती है । जिसमे टिक्कम दास तथा बदरीदास वजीर भी इनका साथ देते हैं और यह रामपुर कोटगढ़ के एरिया में कीर्ति राणा को भी परास्त करते हैं।
मेजर मार्टिनलेंड– मेजर मार्टिनलेंड सेना लेकर नाहान पहुंचे लेकिन रणजोर सिंह को पहले से ही खतरे का आभास था। इसलिए वह वहां से भागकर जातक के किले में शरण ले लेता है और वहां पर मोर्चा संभालाता है। दोनों सेनाओं के बीच भारी युद्ध होता है। अन्त्तत: गोरखा सेना की हार हो जाती है और वे आत्म समर्पण कर लेते हैं।
डेविड अख्तरलोनी- डेविड अख्तरलोनी अमर सिंह थापा को रामगढ़ के किले में चुनौती देता है। अमर सिंह थापा के खिलाफ बिलासपुर के आनंद चंद और नालागढ़ के राजा राम शरण सिंह भी अंग्रेजों का साथ देते हैं। यंहा अमर सिंह थापा की हार होती है तथा वह अर्की के किले में चला जाता है। अर्की के किले में भी उसका पीछा किया जाता । गोरखो तथा अंग्रेजो के बीच वहां पर युध्द होता है जिसमे गोरखों की हार होती है, तो अमर सिंह थापा मालाओं के किले में शरण लेता है। क्योंकि अब हर तरफ से गोरखो के हारने की खबरें आ रही थी इसलिए अमर सिंह थापा भी आत्मसमर्पण कर देता है।
- अंग्रेजों तथा गोरखो के बीच हुई सगौली/ संजौली की संधि को किस वर्ष अनुमोदित किया गया था?
A)1814
B)1815
C)1816
D)1817
उतर-:C)1816
व्याख्या:- सगौली/ संजौली की संधि 1815 में नेपाल के राजा (राज गुरु गजराज मिश्र) तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी (लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडशॉ ) के बीच हुई जिसे 1816 मे अनुमोदित किया गया था। संधि की शर्तों के अनुसार अमर सिंह थापा ने अपने अधिकार मे आने वाले सभी हिमाचली क्षेत्र छोड़ दिये और कमांऊ तथा गढ़वाल के भी बहुत सारे क्षेत्र जो इनके अधीन थे उन सबको को भी अंग्रेजी अधिकारी डेविड अख्तरलोनी-को सौंपा दिया। गोरखों ने सिक्किम का भी अधिकार क्षेत्र छोड़ दिया तथा नेपाल में ब्रिटिश रेजिडेंट नियुक्ति की गई। इस संधि के बाद अंग्रेजी सेना मे गोरखा सैनेको की भर्ती भी शुरू की गई तथा अंग्रेजो के नेपाल के राजा के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बन गए ।
- 1815 में अंग्रेजों की शिमला विजय के बाद किस रियासत पर उन्होंने ₹15000 का वार्षिक कर आरोपित किया?
A) कुमारसन
B) बलसन
C) धामी
D) बुशहर
उतर-:D)बुशहर
व्याख्या:-1815 मे सनदे जारी कर कुमारसन, बलसन, कुटलहर, थरोच, मांगल और धामी ठाकुराईयों को अलग मान लिया गया। खनेठी और दलेठ की ठुकरायां 1816 की सनद के द्वारा बुशहर को सौंपी गई । बहुत सारी रियासतों पर एक दूसरे की भूमि हथियाने पर रोक लगा दी गई । बुशहर ही एकमात्र ऐसी रियासत थी जिसे ₹15000 के वार्षिक कर पर शासन करने की अनुमति प्रदान की गई बाकी रियासतों से इस तरह के कर की कोई वसूली नहीं की जाती थी वस उन्हें सनदों में दी गई शर्तों को पूरा करना होता था। 1815 से लेकर 1947 तक राज्य के अधिकार क्षेत्र में अदला-बदली के लिए समय-समय पर अंग्रेजों द्वारा सनदे जारी की जाती रही। 1846 की सिख अंग्रेज संधि के बाद कांगड़ा हिल्स की भी सभी पहाड़ी रियासते अंग्रेजों के अधिकार क्षेत्र में आ गई जिसमें मंडी, कुल्लू, लाहौल -स्पीति और कांगड़ा आदि शामिल थे। इन्हें भी क्षेत्र की सीमाओं को लेकर समय-समय पर अंग्रेजों द्वारा शासन की सुविधा के अनुसार सनदे जारी की जाती रही। इस प्रकार 1947 तक अंग्रेज राज्य की सीमाओं को सनदो के माध्यम से परिवर्तित करते रहे।
- ब्रिटिश काल में हुए प्रमुख सुधारों में से निम्न में से कौन सा कथन सही नहीं है :-
A)शमशेर प्रकाश के शासनकाल में सिरमौर में लोहे की ढलाई का कारखाना लगवाया गया।
B) अंग्रेजों ने हिमाचल आगमन के तुरंत बाद बेगार प्रथा को समाप्त किया।
C)अंग्रेजों द्वारा चंबा में अफीम की तथा कांगड़ा में चाय की खेती शुरु की गई।
D)चंबा में मेजर बलेयर रीड़ ने पुलिस, न्यायपालिका और वन विभाग को संगठित किया गया।
उतर-: B) अंग्रेजों ने हिमाचल आगमन के तुरंत बाद बेगार प्रथा को समाप्त किया।
व्याख्या:- अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों में कुछ राजनीति और प्रशासनिक सुधार भी किए उन्होंने चंबा में मेजर बलेयर रीड़ को अधीक्षक नियुक्त किया उन्होने चम्बा मे पुलिस,न्यायपालिका और वन विभाग को संगठित किया गया। अंग्रेजों द्वारा चंबा में अफीम की तथा कांगड़ा में चाय की खेती से किसानों को बहुत लाभ हुआ। इसके अलावा शमशेर प्रकाश के शासनकाल में सिरमौर में लोहे की ढलाई का कारखाना लगवाया गया देहरादून में चाय की खेती शुरू की गई। सिरमौर में पुलिस न्यायिक और कर व्यवस्था में भी सुधार किया गया।
मंडी में विजय सेन ने मंडी से कुल्लू तक सड़क निर्माण का कार्य। इसके अलावा मंडी में विक्टोरिया ब्रिज का निर्माण किया गया। साथ में कोर्लिन गार्वेट और एच डब्ल्यू एमरसन ने राज्य में भूमि व्यवस्था लागू की। कांगड़ा के राजा जयचंद सुकेत के राजा भीमसेन तथा मंडी के राजा जोगेंद्र सेन को अंग्रेजों द्वारा अच्छा प्रशिक्षण दिया गया जिससे वे सहज ही अच्छे प्रशासक सिद्ध हुए जिन्होंने अपने राज्य में काफी सुधार किए। मंडी, बुशहर और चंबा के राजाओं ने अंग्रेजों को कुछ निश्चित वर्षों के लिए अपने क्षेत्र में आने बाले वनो को पट्टो पर दे दिया। अंग्रेजों द्वारा ली जाने वाली बेगार प्रथा से भी पहाड़ी राजा बहुत परेशान थे। अंत में पहाड़ी राजाओं की मांग को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों ने बेगार प्रथा को समाप्त करते हुए इसकी जगह एक निश्चित धनराशि लेना शुरू किया। इसके अलावा ब्रिटिश सत्ता और पहाड़ी राजाओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए अंग्रेजों ने 1921 में नरेंद्र मंडल के भी स्थापना की।
- निम्नलिखित में से किसने शिमला में 1857 की क्रांति में विद्रोही सैनिकों का नेतृत्व किया?
A) भीम सिंह
B) शोभा सिंह
C) प्रताप सिंह
D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उतर-:A) भीम सिंह
व्याख्या:- हिमाचल में 1857 की क्रांति की शुरुआत कसौली से हुई थी और जतोग सैनिक छावनी में सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्व में विद्रोहियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति में भाग लिया था।
भारतीय स्वाधीनता का पहला युद्ध जिसे 1857 के विद्रोह के रूप में जाना जाता है, राजनीतिक अशांति और ब्रिटिश कुशासन के खिलाफ जनाक्रोश का परिणाम था, जिसमें सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक कारण शामिल थे । तथापि, देश के अन्य भागों के विपरीत पर्वतीय क्षेत्रों में स्वतंत्रता आंदोलन बहुत सक्रिय नहीं था। अधिकतर शासक अंग्रेजों के सयोगी थे। फिर भी कुछ ऐसे पहाड़ी शासक हुए जिन्होंने अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती दी और उनके खिलाफ विद्रोह किए। उनमें बुशहर का शासक शमशेर सिंह भी एक था।1857 में सैनिक छावनी कसौली और ज्तोग में भी सीधे सिपाहियों का विद्रोह देखने को मिलता है। कांगड़ा और कुल्लू के कुछ क्षेत्रों में भी विद्रोह की घटनाएं देखने को मिलती है। लेकिन विद्रोह को अंग्रेजो द्वारा दबा दिया जाता है और अंग्रेजों की दमनकारी नीतियां राज्य में बनी रहती है।
- सिरमौर के पझौता क्षेत्र में पझौता आंदोलन शुरू हुआ। यह किस आंदोलन से प्रभावित था?
A) भारत छोड़ो आंदोलन
B) सविनय अवज्ञा आंदोलन
C) असहयोग आंदोलन
D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उतर-:A) भारत छोड़ो आंदोलन
व्याख्या:-1942 ईस्वी में सिरमौर के पझौता क्षेत्र में पझौता आंदोलन शुरू हुआ। यह भारत छोड़ो आंदोलन से प्रभावित था। आंदोलन के नेता वैद सूरत सिंह, मियां गूगू, बस्तीराम पहाड़ी, व चेतराम वर्मा आदि ने राजा से कर्मचारियों की तानाशाही और रिश्वतखोरी की शिकायत की। लेकिन राजा ने भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की वजह प्रजामंडल के नेताओं व निर्दोष जनता को गिरफ्तार करने की योजना बनाई। जिससे जनता राजा के खिलाफ हो गई और जनप्रतिनिधि सरकारों की स्थापना का समर्थन करने लगी।
- निम्नलिखित में से दुम्ह विद्रोह का संबंध किस रियासत से था?
A)नालागढ़
B)सिरमौर
C)कांगड़ा
D)बुशहर
उतर-:D)बुशहर
व्याख्या:-ब्रिटिश साम्राज्य के पहाड़ों पर प्रसार होने के साथ ही राजाओं से एक निश्चित कर राशि लेना निर्धारित की गई। कर की बढ़ी हुई राशि को वसूलने के लिए पहाड़ी राजा निरंकुश होकर प्रजा पर मनमानी करने लगे। किसानों से अधिक कर लिया जाने लगा । निम्न जातियों के लोगों से अधिक बेगार ली जाने लगी। इससे लगातार उनका शोषण बढ़ता गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि जनता को अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए आंदोलन करने पड़े। औपनिवेशिक सत्ता के अधीन हिमाचल की कई रियासतों में इस तरह के बहुत से कृषक आंदोलन हुए। जिसमें शिमला हिल्स की रियासतों में, 1898 मे हुआ बेजा और ठेयोग के आन्दोलन, 1905 मे हुआ बघाल का विद्रोह, बुशरह मे 1906 का दुम्ह विद्रोह, डोडरा कबार का विद्रोह और 1877 मे हुआ नालागढ़ आंदोलन, दूसरी तरफ 1927 मे चंबा के राजा राम सिंह के विरुद्ध भी किसान आन्दोलन हुआ, 1895 मे चम्बा के भाटियात में किसान आन्दोलन हुआ, 1909 मे मण्डी तथा सुकेत में हुए कृष्क आन्दोलन तथा बिलासपुर मे हुआ झुगा आंदोलन आदि शामिल थे। राज्य में हुए इन आंदोलनों का मुख्य कारण लगान की बढ़ी हुई राशि और अधिकारियों का भ्रष्ट आचरण था।
- किस वर्ष सुकेत सत्याग्रह हुआ था?
A)1942
B)1946
C)1948
D)1950
उतर-:C)1948
व्याख्या:-1948 में सुकेत के भारतीय संघ में विलय को लेकर हुए जन आंदोलन को सुकेत सत्याग्रह की संज्ञा दी गई। सुकेत के राजा लक्ष्मण सेन के बढ़ते कुशासन व कुप्रबंधन की वजह से लोग शुरू से ही लोकतांत्रिक शासन स्थापित करने की मांग कर रहे थे। पंडित पदम देव की अध्यक्षता में हुए सुकेत सत्याग्रह ने जन आकांक्षाओं को बल दिया। लोगों ने आंदोलन में शामिल होकर राजा को विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश कर दिया।भारत की आजादी के कुछ समय बाद सुकेत भारतीय संघ में शामिल हो गया।
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