Hill States and their relations with the Mughals : History of HP
- पहाड़ी राज्यों के मुगलों के साथ संबंधों का विस्तार से वर्णन करें।
Explain in detail the hill states and their relations with the Mughals.(20 marks, 400 words)
व्याख्या :- 1526 ई॰ में जब पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोधी को परास्त करके भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी तब तक बहुत से पहाड़ी राज्य हिमाचल में अस्तित्व में आ चुके थे। जबकि कांगड़ा, कुल्लू और चंबा मुगल साम्राज्य से सदियों पूर्व स्थापित हो चुके थे। मुगल साम्राज्य स्थापित होने तक इन राजवंशों की कई पीढ़ियां राज कर चुकी थी। भारत में 1192 ई॰ तक राजपूत शासन रहा और इसी बीच कई मुस्लिम आक्रमणकारी हिंदूकुश पर्वत होते हुए भारत पर आक्रमण करते रहे। जिनमें महमूद गजनवी का भी एक नाम था, जिसने 17 बार भारत पर आक्रमण किए। यही प्रथम मुस्लिम शासक था जिसने 1009 ई॰ में काँगड़ा के ब्रजेश्वरी मंदिर पर भी आक्रमण किया और कांगड़ा किले को, जो त्रिगर्त के राजाओं का केंद्र हुआ करता था, को हथियाने की कोशिश भी की। 1192 में तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गौरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद दिल्ली में दास वंश की स्थापना हुई, तत्पश्चात खिलजी वंश अस्तित्व में आया। दोनों वंशों का किसी तरह का दखल हिमाचल में देखने को नहीं मिलता। खिलजी वंश के पश्चात तुगलक वंश दिल्ली में स्थापित हुआ, इस वंश के दो शासकों, मुहम्मद तुगलक और फिरोजशाह तुगलक द्वारा कांगड़ा व ज्वालामुखी पर क्रमशः 1337 व 1365 में आक्रमण किए गए। बदले में रियासत के शासक परव चंद और रूपचंद ने बचाव के लिए युद्ध किया, लेकिन दोनो को हार का समान करना पड़ा। तुगलक वंश के बाद सैयद वंश और लोदी वंश दिल्ली में स्थापित हुए, इन दोनों वंशो का भी हिमाचल में किसी तरह का कोइ दखल देखने को नहीं मिलता। लोदी वंश के पश्चात बाबर द्वारा मुगल साम्राज्य की नींव रखी गई।बाबर का भी किसी तरह का दखल हिमाचल में देखने को नहीं मिलता बाबार के पश्चात उसका बेटा हमायुँ राजगद्दी पर बैठा उसका भी सीधा दखल हिमाचल में देखने को नहीं मिलता। हमायुँ के बाद उसका बेटा अकबर राजगद्दी पर बैठा और इसने मुगल साम्राज्य को काफी विस्तारित किया, काबुल कंधार तक सीमाएं स्थापित की साथ ही हिमाचल के पहाड़ी राजाओं को अपना करद बनाया। अकबर के बाद जहांगीर, जहांगीर के बाद शाहजहां और शाहजहां के बाद औरंगजेब द्वारा मुगल साम्राज्य की नींव संभाली गई। सभी मुगल शासकों के हिमाचल की अलग-अलग पहाड़ी रियासतों के साथ अलग अलग संबंध देखने को मिलते हैं।
पहाड़ी राज्यों के मुगलों के साथ संबंध
कांगड़ा तथा इसकी उप रियासतों के साथ मुगलों के संबंध :-
बाबर(1526-1530) :-
- 1526 ईस्वी में पानीपत के प्रथम युद्ध में लोदी वंश के शासक इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। क्योंकि राज्य अभी नया था तो इनका पुरा समय राज्य को संगठित करने में निकल गया। पहाड़ी राज्यों की तरफ ये ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए और हिमाचल की पहाड़ी रियासतें इनके आक्रमण से बची रहीं।
हुमायूं (153-1556) :-
- इनका भी सीधा दखल हिमाचल की पहाड़ी रियासतें पर देखने को नहीं मिलता लेकिन इनके ही शासनकाल में शेरशाह सूरी द्वारा क्वास खान के नेतृत्व में सेना भेजी गयी और जीत के बाद हमीद खान काकर को कांगड़ा एरिया के अधिकार क्षेत्र सौंपे गए।
अकबर(1556-1605) :-
- अकबर के शासन के आरंभिक वर्षों में शेरशाह सूरी के भतीजे सिकंदर शाह सुर और भक्तमल द्वारा अकबर के विरुद्ध विद्रोह किए गए। सिकंदर शाह सुर ने पंजाब पर हमला किया लेकिन पंजाब मे इसे मुगलों से हार का सामना करना पड़ा। हार जाने के बाद इसने शाहपुर के किले में शरण ली और नूरपुर रियासत के राजा भक्तमल को अपना सयोगी बनाया। विद्रोह को दबाने के लिए, व इन दोनों को सबक सिखाने के लिए अकबर ने बैरम खान के नेतृत्व में नूरपुर के लिए सेना भेजी वह भक्तमल एवं सिकंदर शाह सुर को परास्त किया गया। सिकंदर शाह सुर को माफ कर दिया गया लेकिन भक्तमल को बैरम खान द्वारा लाहौर में फांसी दे दी गई। भविष्य में ऐसे विद्रोह ना हो इससे से बचने के लिए अकबर ने अपने राज दरबार में राजाओं के सगे संबंधियों को रखने की प्रथा शुरू की।
- अकबर को त्रिगर्त रियासत के राजा जयचंद की वफादारी पर संदेह हुआ और गुलेर के राजा रामचंद द्वारा जयचंद को पकड़वा कर इसे दिल्ली कैद कर दिया गया।
- जयचंद की गिरफ्तारी के बाद उनके बेटे बिधि चंद ने त्रिगर्त का शासन संभाला। पिता को मृत समझकर इन्होंने कश्मीर तक के सभी पहाड़ी राजाओं को एकत्रित कर अकबर के खिलाफ विद्रोह कर दिया। लेकिन प्रतापी मुगल शासकों के आगे कहां ये छोटे राज्य टिक पाते।विधि चंद को हार का सामना करना पड़ा और अकबर से माफी मांगनी पड़ी। बदले में जमानत के तौर पर अपने बेटे त्रिलोकचंद को अकबर के दरबार में मुगल शासकों की सेवा में छोड़ना पड़ा।
- मुगलों के आकर्षण का केंद्र रहा कांगड़ा किला जीतने का प्रयास भी अकबर द्वारा जहान कुली खान के नेतृत्व में सेना भेजकर किया गया लेकिन ज्वालामुखी यात्रा के दौरान कुछ अध्यात्मिक परिवर्तन हो जाने के कारण अकबर ने अपनी इस इच्छा का त्याग कर दिया।
जहांगीर (1605-1627) :-
- त्रिगर्त का शासक त्र्लोक चंद जहांगीर का समकालीन था उनके बचपन का अधिकतर समय मुगल राज दरबार में बीता। इनकी जहांगीर के साथ बचपन में अक्सर मुगल राज दरबार में लडाई हुआ करती थी।
- कांगड़ा किला अकबर के शासन काल से ही मुगलों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए जहांगीर ने नूरपुर रियासत के शासक सूरजमल के नेतृत्व में सेना भेजकर नगरकोट के किले को जीतने का अभियान शुरु किया। सूरजमल मुगल सेना के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और शाहपुर में स्थित मऊ कोट के किले में शरण ले ली। तत्पश्चात नगरकोट किला अभियान पर शेख फरीद मुर्त्ज़ा खान को भेजा गया, इन्हें भी असफलता मिली। बाद में शाह कुली खान को भी भेजा गया, इन्हें भी असफलता मिली, लेकिन अंत में 1620 में नूरपुर के शासक जगत सिंह के सहयोग से राय रिहान के न्रेतितव मे किला को कब्जे में लिया गया और नबाब अली खान को पहला किलेदार नियुक्त गया तथा कांगड़ा के अव्यस्क राजा हरिचंद कोटच हार का सामना करना पड़ा।
- 1622 में जहांगीर ने नूरजहां के साथ कांगड़ा किले की यात्रा के साथ गुलेर की भी यात्रा की और नूरपुर तथा पठानकोट होते होते हुए वापस चला गया। कांगड़ा किले में जन्हागिरि दरवाजे और मस्जिद का निर्माण करवाया गया। नूरपुर में भी मस्जिद का निर्माण करवाया गया। धमेरी के राजा जगत सिंह द्वारा जहांगीर की पत्नी नुरजंहा के सम्मान में रियासत का नाम बदलकर नूरपुर दिया गया।
- जहांगीर ने नूरपुर के राजा जगत सिंह की ढ़लोग युद्ध में भी सहायता की और चम्बा के राजा जनार्दन और विशंभर की इस युद्ध में मृत्यु हुई हुई।
शाहजंहा(1628-1658) :-
- शाहजहां के शासन के आरंभिक वर्षों में राजा जगत सिंह और उनके बेटे राजा रूप सिंह द्वारा शाहजहां के विरुद्ध विद्रोह किए गए। बाद में इन विद्रोह को दबाया गया और इन दोनों के साथ शाहजहां के मैत्रीपूर्ण संबंध बन गए।
- शाहजहां द्वारा नूरपुर के राजा जगत सिंह को उज्बेको के विद्रोह को दबाने के लिए भी भेजा गया था और इन्हें 14000 सैनिकों की सहायता प्रदान की गई थी।
- शाहजहां के प्रभाव में आकर नुरपर के राजा बाहु सिंह ने इस्लाम धर्म अपना लिया था।
औरंगजेब(1658-1707) :-
- औरंगजेब कटर शासक थे और धार्मिक परिवर्तन कराने में ही उनका अधिकतर समय निकल जाता था। क्योंकि कांगड़ा किला पहले से ही इनके अधिकार क्षेत्र में आ चुका था। अत: कोई बड़ी उपलब्धि भी नहीं थी इनके पास हासिल करने के लिए, कि ये कांगड़ा पर आक्रमण करते।इसलिए औरंगजेब का कांगड़ा के शासकों के साथ सीधा दखल देखने को नहीं मिलता।
चंबा के साथ मुगलों के संबंध :-
- चंबा का राजा प्रताप सिंह वर्मा अकबर का समकालीन था किसी के शासनकाल में रिहलू, चड़ी और घरोह टोडर मल द्वरा मुगल अधिकर क्षेत्र में लाए गए।
- ढ़लोग युद्ध मैं नूरपुर के शासक जगत सिंह की सहायता जहांगीर द्वारा किए जाने के बाद चम्बा के राजा जनार्दन और विशंभर की इस युद्ध में मृत्यु हुई हुई थी।
- चंबा का राजा पृथ्वी सिंह शाहजहां का समकालीन था और इनके शाहजहां के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। कई बार इन्होंने शाहजहां के राज दरबार की भी यात्रा की थी और चंबा के कुलदेवता रघुबीर की प्रतिमा भी इन्ही के शासनकाल में दिल्ली से लाकर चंबा में स्थापित की गई थी।
- चंबा के राजा चतर सिंह के शासनकाल के दौरान मुगल शासक औरंगजेब द्वारा चंबा में स्थापित सभी हिंदू मंदिरों को गिराने का आदेश दिया गया था लेकिन चतर सिंह ने सभी पहाड़ी राजाओं को साथ मिलाकर आदेश को मानने से मना कर दिया।
सिरमौर के साथ मुगलों के संबंध :-
- सिरमौर का राजा धर्म प्रकाश अकबर का समकालीन था वह अकबर के प्रति वफादार रहा।
- सिरमौर का राजा भुधी प्रकाश जहांगीर का समकालीन था वह यह जहांगीर के प्रति वफादार रहा।
- सिरमौर का राजा मनधाता प्रकाश शाहजहां का समकालीन था
- सिरमौर का राजा शुभाग प्रकाश औरंगजेब का समकालीन था। औरंगजेब द्वारा इस राजा को सुलेमान और दारा शिकोह के बीच होने वाले वार्तालाप की खुफिया जानकारी भेजना का आदेश दिया गया था।
- सिरमौर के राजाओं द्वारा समय-समय पर मुगलों की सेवाओं के लिए तोहफे भेजे जाते रहते थे, जिसमें गढ़वाल के जंगलों में पाई जाने वाली विशेष जड़ी बूटियों भी शामिल थी। बदले में इस रियासत के शासकों को मुगलों द्वारा खिल्लत व स्वतंत्र रूप से शासन करने का अधिकार दिया गया था।
अन्य पहाड़ी राज्यों के साथ मुगलों के संबंध :-
- अकबर के प्रभाव से बिलासपुर के राजा ज्ञानचंद ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया था।
- जन्हागीर द्वारा गुलेर के राजा रुप चंद को बहादुर की उपाधि दी गई थी।
- औरंगजेब के शासनकाल में गुलेर के राजा मानसिंह को कंधार अभियान के लिए भेजा गया था।
- औरंगजेब द्वारा सुकेत के राजा श्याम सेन को किला जितने के लिए विजय अभियान पर भेजा गया था। जिसमें सुकेत के राजा ने जीत हासिल की और उसे सिक्के जारी करने की अनुमती व खिलत प्रदान की गयी।
- औरंगजेब द्वारा कुल्लू के राजा जगत सिंह को राजा होने की मान्यता प्रदान की गई थी।
- औरंगजेब द्वरा बुशहर के राजा केहरि सिंह को छत्रपति की उपाधि दी गई।
मुगल साम्राज्य के पहाड़ी रियासतों पर प्रभाव :-
अधिकतर पहाड़ी राजाओं ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी। वे मुगलों को समय-समय पर कर देते रहते थे। बहुत से पहाड़ी शासकों के साथ मुगलों के मैत्रीपूर्ण संबंध थे और इन संबंधों का प्रभाव हिमाचल की वास्तुकला शैली मे भी देखने को मिलता है। बहुत सी प्राचीन इमारतें हिंदू-मुस्लिम मिश्रित शैली में बनाई गई।औरंगजेब चित्रकारों का कटर विरोधी था। उसके शासनकाल में प्रताड़ित चित्रकार पहाड़ों में आकर बसने लगे और पहाड़ों में चित्रकला का काफी विकास हुआ। मुगलों की रहन-सहन शैली का भी पहाड़ी राजाओं व आम जनता पर प्रभाव पड़ा।मुगल शैली में बनी पोशाकों को गांव में आम लोगों द्वारा पहने जाने का प्रचलन अब भी हिमाचल में हैं।
निष्कर्ष :-
अकबर के शासन काल में अधिकतर पहाड़ी रियासतें मुगलों की करद बन गई थी।कर की राशि के बदले रियासतें स्वतंत्र रूप से शासन करती थी क्योंकि मुगलों को भी अपनी कर राशि से मतलब था जो उन्हें मिल जाती थी।अधिकतर रियासतों में छुटपुट विद्रोह की घटनाएं भी हुई मुगलों के खिलाफ, लेकिन यह बहुत सीमित प्रकार की थी, व इनको आसानी से मुगलों द्वारा दबा दिया गया। अधिकतर पहाड़ी राजाओं के मुगलों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध ही रहे। पहाड़ी राजाओं को भी मुगलों द्वारा समय-समय पर खिल्लत और विशेष उपाधियां प्रदान की जाती रही। बदले में पहाड़ी राजाओं द्वारा भी मुगलों को विशेष उपहार और भेंट प्रदान की जाती थी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पहाड़ी राजाओं के विद्रोह की कुछ एक घटनाओं को छोड़कर, मुगलों के साथ अकबर से लेकर औरंगजेब तक संबंध मैत्रीपूर्णपूर्ण ही रहे। क्रूरता की ज्यादा घटनाएं हिमाचल के राजाओं के साथ मुगलों द्वारा देखने को नहीं मिलती।मुगलों के प्रभाव से राज्य में कला संस्कृति एवं साहित्य का भी विकास हुआ।
Hill States and their relations with the Mughals : History of HP
इसे भी पढ़ें : चम्बा का किसान आंदोलन
- Famous Historical Buildings in Shimla
- River System of Himachal Pradesh (हिमाचल में नदियों का प्रवाह तंत्र)
- JSV Division Dehra Para Pump Operator, Para Fitter & Multipurpose Workers Recruitment 2024
- HPU Shimla Latest Notifications -18 September 2024
- Pahari Paintings of Himachal Pradesh