Economic Survey of Himachal Pradesh 2020-21 (Overview)
अवलोकन : हिमाचल प्रदेश अर्थव्यवस्था
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के लोंगों की त्वरित प्रगति और बेहतर जीवन के लिए केन्द्र सरकार से तालमेल रखते हुए कई कुशल नीतियां बनाई है।हिमाचल प्रदेश अपने साधारण, मेहनतकश लोगों व प्रगतिशील नीतियों और कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन के कारण देश में सम्पन्न तथा तीव्र गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रुप में जानी जाती है। परन्तु वर्ष 2020-21 में कोविड महामारी के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर ऋणात्मक 6.2 प्रतिशत रहने की सम्भावना है।
प्रथम संशोधित अनुमानों के अनुसार, राज्य सकल घरेलू उत्पाद, प्रचलित भावों पर वर्ष 2018-19 (एफ.आर.) में ₹1,49,442 करोड से बढ़कर वर्ष 2019-20 में ₹1,62,816 करोड रहने का अनुमान है जिसमें 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
स्थिर भाव (2011-12) पर वर्ष 2018-19 (एफ.आर.) में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 6.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ ₹1,16,570 करोड़ रहा जो वर्ष 2019-20 (एफ.आर.) में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि कि साथ ₹1,22,284 करोड़ हो गया।
सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि मुख्यतः सामुदायिक व व्यक्तिक सेवाओं 15.8 प्रतिशत, वित्तीय व रियल इस्टेट में 2.5 प्रतिशत, यातायात व व्यापार 4.6 प्रतिशत, विनिर्माण क्षेत्र 0.3 प्रतिशत, निर्माण 3.1 प्रतिशत तथा विद्युत, गैस, व जलापूर्ति (-) 4.6 प्रतिशत के कारण सम्भव हुई है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र में 15.4 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्वि रही।
खाद्य उत्पादन वर्ष 2018-19 में 16.92 लाख मीट्रिक टन से घटकर वर्ष 2019-20 में 15.94 लाख मीट्रिक टन रहा जबकि वर्ष 2020-21 में 16.75 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है। फल उत्पादन वर्ष 2019-20 में 70.7 प्रतिशत की वृद्वि के साथ 8.45 लाख मी. टन जोकि वर्ष 2018-19 में 4.95 लाख मीट्रिक टन था तथा 2020-21 में (दिसम्बर, 2020) तक फल उत्पादन 4.82 लाख मीट्रिक टन रहा।
वर्ष 2018-19 में प्रति व्यक्ति आय प्रचलित भाव पर ₹1,76,460 से बढ़कर प्रथम संशोधित अनुमानों के अनुसार वर्ष 2019-20 में ₹1,90,407 हो गई जोकि 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। अग्रिम अनुमानों के अनुसार तथा दिसम्बर, 2020 की आर्थिक स्थिति एवं कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव के कारण वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में (-) 6.2 प्रतिशत दर से संकुचन होने की सम्भावना है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था अभी भी मुख्यतः कृषि व सम्बन्धित क्षेत्रों पर ही निर्भर है। अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र से उद्योग व सेवा क्षेत्रों के पक्ष में रूझान पाया गया क्योंकि कृषि क्षेत्र का कुल राज्य घरेलू उत्पाद में योगदान जो वर्ष 1950-51 में 57.9 प्रतिशत था तथा यह घटकर 1967-68 में 55.5 प्रतिशत रहा। 1990-91 में 26.5 प्रतिशत और 2019-20 में 10.5 प्रतिशत रह गया।
उद्योग व सेवा क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान 1950-51 में क्रमशः 1.1 व 5.9 प्रतिशत से बढ़कर 1967-68 में 5.6 व 12.4 प्रतिशत, 1990-91 में 9.4 व 19.8 प्रतिशत और 2019-20 में 29.2 व 43.5 प्रतिशत हो गया। शेष क्षेत्रों में 1950-51 के 35.1 प्रतिशत की तुलना में 2019-20 में घटकर 27.3 प्रतिशत रह गया।
कृषि क्षेत्र के घट रहे अंशदान के बावजूद भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की महत्ता पर कोई असर नहीं पड़ा। राज्य की अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र का विकास अधिकतर कषि तथा उद्यान उत्पादन द्वारा ही निर्धारित होता है और सकल घरेलू उत्पाद में भी इसका मुख्य योगदान रहता है।
अन्य क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव रोजगार, अन्य लागत, व्यापार तथा परिवहन सम्बद्धताओं के कारण रहता है। सिंचाई सुविधाओं के अभाव में हमारा कृषि उत्पादन अभी भी मुख्यतः सामयिक वर्षा व मौसम स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए सरकार भी इस ओर ध्यान दे रही है।
राज्य ने उद्यान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। विविध जलवायु, उपजाऊ मिट्टी, गहन और उपयुक्त निकासी वाली भूमि तथा भू-स्थिति में भिन्नता एवं ऊंचाई वाले क्षेत्र समशीतोषण से उप्पोषण कटिबन्धीय फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। प्रदेश का क्षेत्र फलोत्पादन में सहायक व सम्बन्धी उत्पाद जैसे फूल, मशरूम, शहद और हॉप्स की पैदावार के लिए भी उपयुक्त है।
इस वर्ष 1,340 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र फलों के अधीन लाने का लक्ष्य है जबकि दिसम्बर, 2020 तक 2,589 हैक्टेयर क्षेत्र फलों के अधीन लाया जा चुका है तथा इसी अवधि में विभिन्न प्रजातियों के फलों के 7.69 लाख पौधों का वितरण किया गया। प्रदेश में बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में 18.61 लाख टन सब्जी उत्पादन हुआ जबकि वर्ष 2018-19 में 17.22 लाख टन का उत्पादन हुआ था जो कि 8.07 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2020-21 में बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन 16.58 लाख टन होने का अनुमान है।
हिमाचल प्रदेश सरकार मौसम परिवर्तन से तालमेल बिठाने हेतु महत्वाकांक्षी योजना पर काम रही है। राज्य की कार्य योजना में मौसम परिवर्तन से सम्बन्धित संस्थागत क्षमता का सृजन तथा क्षेत्रवार गतिविधियों को अमल में लाना है।
प्रदेश अर्थव्यवस्था की बढ़ती हुई विद्युत आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने राज्य में निरन्तर निर्बाध विद्युत की आपूर्ति, विद्युत उत्पादन, संचारण तथा वितरण को बढ़ाने हेतु महत्वपूर्ण पग उठाए गए हैं। ऊर्जा संसाधन के रूप में जल विद्युत, आर्थिक रूप से व्यावहारिक, प्रदूषण रहित तथा पर्यावरण के अनुकूल है।
इस क्षेत्र के पुनर्गठन के लिए राज्य की विद्युत नीति सभी पहलुओं जैसे कि अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन, संरक्षण की क्षमता, पहुंच व उपलब्धता, वहन करने योग्य, पर्यावरण संरक्षण व प्रदेश के लोगों को रोजगार सुनिश्चित करने पर जोर देती है। निजी क्षेत्रों का योगदान भी उत्साहवर्धक है परन्तु सरकार द्वारा प्रदेश के निवेशकों के लिए 2 मैगावाट तक की लघु परियोजनाओं को आरक्षित रखा गया है और 5 मैगावाट की परियोजनाओं तक उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।
वर्ष 2021-22 का वार्षिक विकास बजट ₹9,405 करोड़ की निर्धारित की गई है जोकि वर्ष 2020-21 से 19 प्रतिशत अधिक है। मूल्य नियन्त्रण सरकार की हमेशा विशेष सूची में रहा है। हि.प्र. श्रमिक वर्ग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति वर्ष 2020-21 (दिसम्बर, 2020) में 5.0 प्रतिशत रही ।
पर्यटन प्रदेश की अर्थव्यवस्था में राजस्व प्राप्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत तथा विविध प्रकार के रोज़गारों का जनक है। इसके परिणाम स्वरूप घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों के आगमन में पिछले कुछ वर्षों के दौरान महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज हुई है परन्तु कोविड़-19 के कारण इस वर्ष दिसम्बर, 2020 तक 81 प्रतिशत की गिरावट देखने में आई, जिसका विवरण निम्न सारणी 1.2 में दिया गया है।
Economic Survey of Himachal Pradesh 2020-21 (Overview)
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