श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी :एक प्रसिद्ध लेखक
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श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी एक प्रसिद्ध लेखक , आलोचक , कवि और भाषाविद थे। उनका जन्म 7 जुलाई 1883 ई में जयपुर (राजस्थान) में हुआ था। उनका पैतृक गाँव गुलेर (जिला काँगड़ा ) था। उनके पिता पंडित शिव कुमार जयपुर राजा के कुल पुरोहित तथा स्थानीय संस्कृत महाविद्यालय में प्राचार्य थे।
शिक्षा : चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1899 ई. में प्रथम श्रेणी में मेट्रिक पास की। जिसके लिए जयपुर के महाराजा ने उन्हें स्वर्ण पदक दिया था। 1903 ई. में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रथम रह कर बी. ए. की परीक्षा पास की।
उनकी मुख्य कृतियाँ : “उसने कहा था “, ” सुखमय जीवन ” और ” बुध्दू का काँटा “
उनकी अन्य उपलब्धियाँ :
- 17 वर्ष की आयु में उन्होंने जयपुर में एक ‘पुस्तकालय ‘ और ‘नागरी भवन ‘ बनाया।
- उन्होंने अंग्रेजी में एक पुस्तक ‘जयपुर वेधशाला और उसके निर्माता ‘ (Jaipur Observatory and its Builders ) लिखी।
- 1903 ई. से 1907 ई. तक वह समालोचक पत्रिका के संपादक रहे।
- 1916 ई. में उन्हें मेयो कॉलेज अजमेर में मुख्य पुरोहित और संस्कृत के अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- 1920 ई. में उन्हें बनारस में इतिहास के प्रोफेसर पद से सम्मानित किया गया।
- 1922 ई. में उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर (मणिचंद नन्दी पीठ ) नियुक्त किया गया।
- इसी काल में ‘काशी ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका के सम्पादक भी रहे।
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की हिन्दी साहित्य में सबसे अधिक ख्याति 1915 में ‘सरस्वती’ मासिक में प्रकाशित कहानी ‘उसने कहा था’ के कारण हुई। यह कहानी शिल्प और विषय-वस्तु की दृष्टि से आज भी ‘मील का पत्थर’ मानी जाती है।
प्रतिभा के धनी चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ने अपने अभ्यास से संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेज़ी, पालि, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं पर असाधारण अधिकार प्राप्त किया। उन्हें मराठी, बंगला, लैटिन, फ़्रैंच, जर्मन आदि भाषाओं की भी अच्छी जानकारी थी। उनके अध्ययन का क्षेत्र बहुत विस्तृत था। साहित्य, दर्शन, भाषा विज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्त्व ज्योतिष सभी विषयों के वे विद्वान् थे।
मृत्यु :चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की मृत्यु 12 सितम्बर 1922 ई. में काशी में हुई।
श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी :एक प्रसिद्ध लेखक
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